Wednesday 25 September 2013

News in Hindi: Few indian Ad were never been forget because of there taglines


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नई दिल्ली। चंद शब्द आपके कानों में पड़े और मन में उतर गए। उन शब्दों का इस्तेमाल रोजमर्रा की आपसी बातचीत में भी होने लगा। सबसे बड़ी बात कि चंद शब्दों ने कुछ चीजों को सदा के लिए यादगार बना दिया। हम किसी बड़े नेता की बात नहीं कर रहे ना किसी महान व्यक्ति की। हम बात कर रहे हैं विज्ञापनों में इस्तेमाल किए गए उन शब्दों की जिसे लोग आज भी याद रखते हैं। टीवी पर आए इन विज्ञापनों की वजह से प्रोडक्ट्स की जबरदस्त मार्केटिंग हुई। कंपनियां कुछ समय तक एक विज्ञापन चलाती हैं और थोड़े दिनों में उसे बदल देती हैं। लेकिन भारत में कुछ विज्ञापन ऐसे आए हैं जो लोगों के बीच बेहद प्रचलित हुए। साथ ही, उनकी वजह से कंपनी को अलग पहचान मिली। आइये हम आपको उन कुछ विज्ञापनों और उनमें कहे गए शब्दों को याद दिलाते हैं। 

अगर कोई चीज आपसे टूट न रही हो तो लोगों के मुंह से अपने आप ही निकलता है कि अरे भाई 'ये फेविकोल का मजबूत जोड़ है, टूटेगा नहीं'। हालांकि, फेविकोल हर बार कोई न कोई आकर्षक विज्ञापन लेकर आया है, लेकिन कंपनी की ये टेगलाइन सुपर हिट रही। 

गर्मी हो, आप किसी के घर पर हो या आप दुकान पर खड़े हों, तो सिर्फ यही बोला जाता है- 'जरा ठंडा देना'। इन शब्दों को बाजार में लेकर आया कोला कोला, जिसके विज्ञापन की टेगलाइन ही थी 'ठंडा मतलब कोका-कोला'। इस विज्ञापन को कंपनी ने लंबे समय पर चलाया। 

आपको याद होगा कि एक छोटा सा बच्चा घर छोड़ कर जाने लगता है लेकिन अचानक उसके दादा कहते हैं कि घर पर तो जलेबी बनी है। बच्चा उस बात पर प्रतिक्रिया देते हुए एक ही शब्द बोलता है 'जलेबी'। बस लोग उस बच्चे के मुंह से निकले जलेबी शब्द को सुनने के लिए पूरा विज्ञापन देख लेते थे। इसे 'धारा' कंपनी ने पेश किया था। 

घर पर रंग रोगन हो रहा है, आपने नई गाड़ी खरीदी है तो आपके पड़ोसी, रिश्तेदार या मित्र आपको यही बोलेंगे 'बढि़या है'। एशियन पेंट्स के इस विज्ञापन की वजह से लोग एक दूसरे को सुनील बाबू कह कर पुकारने लगे थे।

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