Wednesday 25 September 2013

News in Hindi: There is nothing you can call Zero percent scheme


Finance scheme

नई दिल्ली। शायद आपने यह सुना हो : यहां फ्री लंच जैसी कोई ऐसी चीज नहीं! ये बात उस चीज पर लागू होती है जिस पर मुफ्त या 'जीरो' पर्सेट (फीसद) लिखा रहता है। इस शब्द या कहें स्कीम का मकसद ग्राहकों को खरीदारी के लिए उकसाना है। हालांकि, यह ग्राहकों के लिए खरीदारी का सुविधाजनक साधन तो है लेकिन सस्ता नहीं है। जीरो देखकर ही हमें विश्वास हो जाता है कि यह तो हमें फ्री में मिलने वाला है, लेकिन फाइनेंस की भाषा बड़ी चतुर होती है। आइये हम आपको उन तथ्यों से रूबरू कराते हैं जो इस जीरो के पीछे छिपे बैठे हैं। 

जीरो पर्सेट फाइनेंस स्कीम कई ग्राहकों को आकर्षित करती है। उनके मन में मुफ्त का भ्रम भी पैदा करती है। हालांकि, रिजर्व बैंक के कड़े नियमों की वजह से कई बैंकों ने इस प्रकार की स्कीम बंद कर दी है। लेकिन विभिन्न नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (एनबीएफसी) ये काम कर रही हैं। जीरो पर्सेट फाइनेंस और इंस्टॉलमेंट का मतलब यही समझता जाता है कि आपको कोई ब्याज नहीं देना होगा लेकिन ऐसा होता नहीं। आप असल में ज्यादा पैसे खर्च देते हैं। 

पहले तो इस जीरो पर्सेट स्कीमों में छिपी लागत का पता नहीं चलता। सबसे बड़ा नुकसान यही है कि आपको खरीदी गई वस्तु पर कैश डिस्काउंट नहीं मिलता। यदि आप 48,000 रुपये का एलईडी टीवी खरीदने का फैसला लेते हैं। इसे लेने के लिए यदि आप जीरो पर्सेट स्कीम का इस्तेमाल करते हैं तो आपको छह माह तक प्रति माह 8,000 रुपये की ईएमआई देनी होगी। 

अब आप देखें की आपको कितना और देना पड़ेगा जिसे आपको बताया नहीं जाएगा। आपको शुरुआत में ही 1,000 रुपये की प्रोसेसिंग फीस देनी पड़ेगी और जैसे कि आप जीरो पर्सेट स्कीम का इस्तेमाल करते हैं तो आपको 2,000 रुपये का कैश डिस्काउंट नहीं मिलेगा। इसका मतलब आपको मुफ्त के नाम पर 3 हजार रुपये का नुकसान होगा। 
 
हालांकि, अब अगर आप इस त्योहारी मौसम में फोन या टीवी खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो इंट्रेस्ट फ्री स्कीम के भरोसे मत रहिएगा। यह स्कीम वापस ली जा रही है। आरबीआई ने बैंकों से महंगी शॉपिंग के बिल को क्रेडिट कार्ड इंस्टॉलमेंट में बदलने से मना किया है। आरबीआई ने कहा है कि यह ग्राहकों को एक तरह से भुलावे में रखना है। रिजर्व बैंक का मानना है कि जीरो पर्सेट स्कीम से कंज्यूमर्स को बेवकूफ बनाया जा रहा है। खरीदारों को लगता है कि इस स्कीम में बैंक फ्री में लोन दे रहे हैं। इसलिए आरबीआई इसे रोकना चाहता है।

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