Wednesday 25 September 2013

News in Hindi: Studies of Sanskrit, questions in English but answer in Bengali


Studies

कोलकाता, नेहा सिंह। कला, विज्ञान या वाणिज्य के छात्र सुविधानुसार अपनी मातृभाषा जैसे हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला या उर्दू में प्रश्नपत्र के जवाब लिखते हैं। लेकिन एक भाषा का छात्र यदि दूसरी भाषा में प्रश्नों के उत्तर लिखे तो कुछ अटपटा-सा लगता है। देश के नामचीन विश्वविद्यालयों में से एक कलकत्ता विश्वविद्यालय में वर्षो से ऐसा ही होता आ रहा है। यहां संस्कृत के छात्रों को प्रश्नपत्र मिलता है अंग्रेजी में और वह इसका जवाब देते हैं बांग्ला में।
एमए, एमफिल जैसी पढ़ाई कर रहे छात्र जिस भाषा को ठीक से लिखना या बोलना तक नहीं जानते, उनमें उन्हें डिग्रियां प्राप्त हो रही हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय एमए व एमफिल में करीब एक सौ ऐसे छात्रों को हर साल डिग्रियां प्रदान करता है। संस्कृत के इन छात्रों को विश्वविद्यालय की परीक्षा में अंग्रेजी में लिखे हुए प्रश्नपत्र दिए जाते हैं क्योंकि उन्हें संस्कृत पढ़ने-समझने में दिक्कत होती है। नतीजा यह है कि जो छात्र संस्कृत से बड़ी-बड़ी डिग्रियां प्राप्त कर रहे हैं वह संस्कृत बोलना तक नहीं जानते।

कलकत्ता विश्वविद्यालय से संस्कृत में एमए कर रही मीनाक्षी दास ने बताया कि उसे संस्कृत में ठीक तरह से लिखना नहीं आता। ऐसी स्थिति में वह और कक्षा के अन्य छात्र भी बांग्ला में ही उत्तर लिखते हैं। सिर्फ व्याख्या उन्हें संस्कृत में लिखनी पड़ती है। इसमें उन्हें दिक्कत होती है। उन्होंने कहा कि यदि विश्वविद्यालय में यह सुविधा नहीं होती तो शायद वह संस्कृत से एमए नहीं कर पाती। विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष व केंद्रीय मानव संसाधन विभाग के सदस्य प्रो. रवींद्र नाथ भट्टाचार्य ने स्वीकार किया कि संस्कृत की कक्षा में प्रोफेसर भी बांग्ला में ही पढ़ाते हैं। बांग्ला में ही लिखते हैं एवं छात्रों से बातचीत भी बांग्ला में ही होती है। विभाग में 20 प्रोफेसर हैं। इनमें 10 स्थायी व इतने ही अस्थायी हैं। ज्यादातर प्रोफेसरों ने भी संस्कृत की पढ़ाई बांग्ला में ही की है।

काशी के संस्कृत विश्वविद्यालय से आचार्य की डिग्री प्राप्त करने वाले प्रो. रवींद्रनाथ भट्टाचार्य विभाग के एक मात्र प्राध्यापक हैं, जो संस्कृत में कक्षा लेते हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की बैठक में उन्होंने कई बार इस मुद्दे को उठाया कि जब बांग्ला के छात्र बांग्ला में और हिंदी के छात्र हिंदी में पढ़ाई करते हैं तो संस्कृत के छात्र भी संस्कृत में ही पढ़ें और लिखें।

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