Sunday 22 September 2013

News in Hindi: Girl and muslim students number rise in schools


education

राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली। वैसा तो नहीं हुआ जैसा होना था। शिक्षा का अधिकार कानून बनने के तीन वर्ष बाद भी बच्चे पढ़ाई से महरूम हैं। लाखों शिक्षकों की कमी भी है। बावजूद इसके कानून का ही असर है कि जमीन पर बहुत कुछ बदल भी रहा है। बुनियादी सुविधाएं सुधरी हैं। नतीजतन स्कूलों में लड़कियों और मुस्लिम समुदाय के बच्चों का दाखिला बढ़ा है। साथ ही स्कूली पढ़ाई के ज्यादातर मोर्चो पर सुधार के संकेत मिल रहे हैं।

प्राथमिक और उच्च प्राथमिक में लड़कियों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2011-12 के दौरान उच्च प्राथमिक में 48.39 प्रतिशत लड़कियों ने दाखिला लिया। वहीं, 2012-13 में यह संख्या 48.67 फीसद तक पहुंच गई। हालांकि, प्राथमिक में मामूली वृद्धि हुई। इसका आंकड़ा 48.35 से बढ़कर 48.36 फीसद तक ही पहुंच सका। मुस्लिम समुदाय के छात्रों ने स्कूलों की तरफ तेजी से रुख किया है। एक साल के भीतर स्कूली पढ़ाई में उनका दाखिला 12.79 से बढ़कर 13.52 प्रतिशत तक पहुंच गया। दिल्ली में यह आंकड़ा 12.5 से बढ़कर 15.5 प्रतिशत, यूपी में 9.6 प्रतिशत से बढ़कर 13.2 प्रतिशत हो गया, जबकि बिहार में 14.7 से घटकर 14.5 प्रतिशत रह गया। 

जिला सूचना शिक्षा प्रणाली की सालाना रिपोर्ट कुछ ऐसे ही संकेत दे रही है। हालांकि, यह रिपोर्ट अभी सार्वजनिक होना बाकी है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट यह इशारा भी करती है कि एक ही कक्षा में बार-बार फेल होने वाले छात्रों की स्थिति भी पहले जैसी नहीं है। प्राथमिक में 2009-10 में औसतन 5.08 प्रतिशत बच्चे फेल हो जाते थे। वर्ष 2012-13 के दौरान यह आंकड़ा घटकर 0.71 प्रतिशत ही रह गया है। स्कूलों में पढ़ाई के लिए बच्चे पहले के मुकाबले ज्यादा रुकने लगे हैं। बिहार में यह प्रतिशत 59 से 61 और गुजरात में 87 से 95 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जबकि पश्चिम बंगाल में यह 81 प्रतिशत से घटकर 63 प्रतिशत रह गया है। 

एक कक्षा में बच्चों की संख्या (छात्र-क्लासरूम अनुपात) में भी सुधार आया है। बिहार में यह 79 से घटकर 65, झारखंड में 33 से 30, यूपी में 34 से 32 तक पहुंच गया है। हालांकि, दिल्ली में स्थिति बिगड़ी है। राष्ट्रीय राजधानी में 2011-12 के दौरान जहां एक कक्षा में 36 बच्चे पढ़ते थे, वहीं 2012-13 में यह 41 तक पहुंच गया। बच्चों ने स्कूलों की तरफ मुंह किया है। लिहाजा, पिछले साल से प्राथमिक कक्षों की दाखिला दर दो प्रतिशत तक कम हुई है, जबकि बीते एक साल में उच्च प्राथमिक में 4.8 प्रतिशत तक बढ़ी है। इस मामले में यूपी में 13 प्रतिशत, हरियाणा में आठ प्रतिशत और बिहार में छह प्रतिशत तक इजाफा हुआ है। 

बुनियादी सुविधाओं में सुधार
1-लड़कियों के लिए शौचालय :
-राष्ट्रीय औसत 72.16 से बढ़कर 88.32 प्रतिशत
-उत्तर प्रदेश में 81 प्रतिशत से बढ़कर 98 फीसद
-बिहार में 52 से बढ़कर 76 प्रतिशत
2-विद्युतीकरण :
-राष्ट्रीय औसत 47 से बढ़कर 49 प्रतिशत
3-बाउंड्री वाल :
-58.16 से 59.48 फीसद

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