Wednesday 25 September 2013

News in Hindi: Shinde, Digvijay forced me to implicate RSS chief: Ajmer blast accused


Ajmer blast accused

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। छह साल पुराने अजमेर धमाके में नए रहस्योद्घाटन ने कांग्रेस और संघ परिवार के बीच विवादों की नई सियासी जमीन तैयार कर दी है। ब्लास्ट के मुख्य आरोपी भावेश पटेल के आरोपों ने कांग्रेस के संघपोषित हिंदू आतंकवाद के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भावेश ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को पत्र लिखकर केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे समेत कांग्रेस के कई नेताओं को घसीट लिया है। पटेल ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने 'दबाव प्रलोभन और आश्वासन' देकर संघ प्रमुख मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार का नाम लेने को कहा था। वहीं, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ठोस सुबूतों का दावा किया है।

संघ पर हिंदू आतंकवाद फैलाने का आरोप मढ़ते रहे कांग्रेस नेताओं के लिए अजमेर ब्लास्ट बड़ा मुद्दा था। अलवर जेल में कैदी भावेश का इन दिनों सवाई मान सिंह अस्पताल में इलाज चल रहा है। यहीं से भावेश ने एनआइए की विशेष अदालत को पत्र भेजकर कहा कि शिंदे, गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और दिग्विजय सिंह ने दबाव बनाया था कि वह संघ प्रमुख मोहन भागवत व पदाधिकारी इंद्रेश कुमार का नाम ले।

उसे प्रलोभन दिया गया था कि ऐसा करने पर उसकी जमानत में मदद की जाएगी, वरना परिजन भी मुश्किल में फंस सकते हैं। भावेश ने चिट्ठी में कहा कि मुरादाबाद के आचार्य प्रमोद कृष्णन ने उसकी मुलाकात दिग्विजय और अन्य नेताओं से कराई थी।

तत्काल भाजपा और संघ की ओर से कांग्रेस को घेरने की कवायद शुरू हो गई। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के साथ-साथ संघ प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि कांग्रेस का नकाब उतर गया है। कांग्रेस अक्सर इस तरह का षड्यंत्र रचकर भाजपा को बदनाम करने की कोशिश करती है। भोपाल की रैली में राजनाथ ने कहा कि कौरवों की तरह झूठ का सहारा लेकर वह भाजपा रूपी पांडवों को नहीं हरा सकती। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि उनके पास पुख्ता सुबूत हैं।

शिंदे ने कहा कि वह कभी भावेश से मिले तक नहीं है। उन्होंने कहा, 'कोई मेरा नाम लेता है तो मैं क्या कर सकता हूं।' आरपीएन का कहना था कि जिस वक्त की बात की जा रही है, उस वक्त वह गृहमंत्री थे ही नहीं। 

भावेश का पत्रपत्र में एनआइए, राजस्थान सरकार और अलवर जेल के अधिकारियों पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाते हुए हुए भावेश ने कहा कि नवंबर 2012 में प्रमोद कृष्णन ने मुरादाबाद के आश्रम में दिग्विजय से मुलाकात कराई थी। तब दिग्विजय ने उन्हें चुप रहने को कहा था। कुछ दिन बाद आरपीएन और जायसवाल से भी आचार्य ने मुलाकात कराई। दोनों ने आश्वासन दिया कि मामला खत्म करा देंगें।

शिंदे से मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि दिग्विजय के कहने पर मदद कर रहा हूं। उन्होंने कहा एनआइए अधिकारियों से कहकर मैं तुम्हें गिरफ्तार करा देता हूं। फिर उनका बताया बयान ही देना। कोर्ट में धमाकों के पीछे भागवत व इंद्रेश का हाथ होने की बात कहोगे तो कुछ दिन में जमानत करा दी जाएगी। शिंदे के निर्देश पर नोएडा स्थित एनआइए कार्यालय में आइपीएस विशाल गर्ग, जसवीर सिंह ने कई खाली कागजों पर हस्ताक्षर कराए। कई तारीखों पर कोर्ट में पेश किया गया। फिर 23 मार्च, 2013 को अदालत में पेश करते समय बताया बयान देने को कहा, लेकिन उनका कहा नहीं माना तो मुझे एनआइए, राजस्थान पुलिस और जेल के अफसर लगातार परेशान कर रहे हैं। भावेश ने जान-माल का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार की है। उसने अधिकारियों के खिलाफ न्यायिक जांच की भी मांग की।

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