Monday, 25 November 2013

Aarushi Murder Case: 212 Dates, 46 Testimony, 18th month long Trial

Aarushi murder case

गाजियाबाद, [फरमान अली]। अदालत में आरुषि-हेमराज हत्या मामला करीब 18 महीने चला। इसमें कुल 212 तारीखें लगीं और सीबीआइ व बचाव पक्ष की ओर से कुल 46 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। तब जाकर मामला अंजाम तक पहुंचा।

25 मई, 2012 को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश श्यामलाल की अदालत में डॉ राजेश तलवार व डॉ नूपुर तलवार पर आरोप तय होने के बाद मामला शुरू हुआ। इस दौरान सीबीआइ ने कुल 39 लोगों की गवाही कराई, जिनमें उत्तर प्रदेश पुलिस के फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट चुन्नी लाल, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट संजय चौहान, पूर्व सीओ केके गौतम, नौकरानी भारती मंडल, एएसपी महेश मिश्रा, तत्कालीन थाना प्रभारी दाताराम नानोरिया, फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. एसपीआर प्रसाद, सीबीआइ के एसएसपी विजय कुमार और मामले के विवेचक एजीएल कौल का नाम शामिल है। कौल ने अपनी गवाही में साफ तौर पर कहा था कि डॉ राजेश तलवार हेमराज व आरुषि को आपत्तिजनक स्थिति में देखकर आपा खो बैठे और गोल्फ स्टिक से उनकी हत्या कर दी।
वहीं बचाव पक्ष ने विदेशी गवाह मनोचिकित्सक आंद्रे सेमीखोस्की के साथ राजेंद्र कौल, एम्स के पूर्व फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ आरके शर्मा समेत सात लोगों की गवाही कराई। बचाव पक्ष ने सीबीआइ के एडीजी अरुण कुमार की गवाही कराने का अनुरोध अदालत से किया था। लेकिन अदालत ने इससे इन्कार कर दिया। इसके अलावा बचाव पक्ष ने कारपेंटर हरीश शर्मा की गवाही यह कहकर कराने से खुद ही इन्कार कर दिया था कि उसे सीबीआइ ने धमकाया है। इतना ही नहीं, सीबीआइ के अधिवक्ता आरके सैनी पर विदेशी गवाह को धमकाने का आरोप भी लगाया था।
भारी पड़ी 25 तारीख
डॉ राजेश तलवार पर 25 तारीख हमेशा भारी पड़ी है। 25 जनवरी, 2011 को अदालत परिसर में पेशी के दौरान उन पर उत्सव नामक युवक ने जानलेवा हमला किया था। 25 मई, 2012 को आरोप तय होने के बाद इस मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई और 25 नवंबर, 2013 को ही मामले में फैसला आया।
जेल में नहीं खाया खाना
दोषी करार दिए जाने के बाद डॉ दंपति गहरे सदमे में हैं। अदालत से डासना जेल पहुंचने तक नूपुर तलवार पूरे रास्ते पुलिस वैन में रोती रहीं। जेल पहुंचकर भी उन्होंने किसी से बातचीत नहीं की। मेडिकल परीक्षण के बाद दोनों को उनके बैरकों में भेज दिया गया। यहां उन्हें थाली, मग, दरी और तीन कंबल उपलब्ध कराए गए। रात के खाने में उन्हें मसूर की दाल, चावल, मूली की सब्जी और आठ रोटी दी गई लेकिन दोनों ने खाना नहीं खाया। तनाव के चलते देर रात तक वे अपने बैरकों में टहलते रहे। उन्हें यहां कड़ी सुरक्षा में रखा गया है।

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