केनारा एचएसबीसी ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरेंस देश के कुछ बेहद प्रतिष्ठित बैंकों का संयुक्त उपक्रम है। निजी क्षेत्र की इस जीवन बीमा कंपनी की निदेशक (सेल्स व मार्केटिंग) आर एम विशाखा ने विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से बातचीत में बताया कि कैसे ग्राहक जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का फैसला कर सकते हैं।
जीवन बीमा पॉलिसी लेते समय क्या ध्यान में रखना चाहिए?
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण तो यह ध्यान रखना चाहिए कि जीवन बीमा पॉलिसी फटाफट मुनाफा कमाने का कोई जरिया नहीं है। लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखिए कि लंबी अवधि में वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने का जीवन बीमा से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। इसलिए जीवन बीमा पॉलिसी को खरीदने के समय सबसे पहले तो अपनी जरूरत को ध्यान में रखना चाहिए। बेहतर होगा किसी अच्छे विशेषज्ञ से अपनी वित्तीय दायित्व व परिसंपत्तियों का आकलन करवाया जाए। इसके आधार पर यह देखा जाए कि भविष्य में और कौन-कौन सी जिम्मेदारियां निभानी है। अपने मौजूदा निवेश का आकलन करने के बाद ही फिर जीवन बीमा पॉलिसी करवाने का फैसला होना चाहिए।
क्या आपकी कंपनी ग्राहकों को वित्तीय प्लानिंग पर सुझाव देती है?
हां, जीवन बीमा पॉलिसी बेचने का मेरी कंपनी का कांसेप्ट ही बिल्कुल अलग है। हम उत्पाद या पॉलिसी पर जोर ही नहीं देते। हम ग्राहक की जरुरत पर ध्यान देते हैं। ग्राहक हमारे पास आता है तो हम पहला सवाल यही पूछते हैं कि आपको किस लिए पॉलिसी चाहिए? अगर कोई कहता है कि दो-तीन वर्षो में पैसा बनाना है तो हम सीधे कह देते है कि आप कहीं और निवेश कीजिए। हम ग्राहक की जरुरत देखते हैं और फिर उसे कई उत्पादों के बारे में सुझाव देते है। आम तौर पर हमारी कंपनी कुछ उत्पादों का विकल्प ग्राहक के सामने पेश करती है। उसमें से उन्हें पसंद करने की आजादी होती है।
आपकी कंपनी में ग्राहकों को उत्पादों के बारे में सही जानकारी देना कैसे सुनिश्चित किया जाता है?
देखिए, आप शायद मिससेलिंग (गलत सूचना दे कर ग्राहकों को पॉलिसी बेचना) की बात कर रहे है। ग्राहकों की जरुरत के मुताबिक पॉलिसी बेचने की कांसेप्ट से ही मिससेलिंग की संभावना कम हो जाती है। दूसरी बात मैं यह बताना चाहूंगी कि केनारा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ इंस्योरेंस कंपनी पूरी तरह से बैंकाश्योरेंस पर आधारित है। देश के दो बड़े बैक केनारा बैंक और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का नाम इससे जुड़ा हुआ है। हमारे बैंक ग्राहकों को ही अपने उत्पाद बेच रहे हैं। ये बैंक ग्राहक पिछले कई वषरें और कुछ तो कई दशकों से इन बैंकों के ग्राहक है। इतने पुराने और विश्वस्त ग्राहकों के भरोसे को हम गलत जीवन बीमा पॉलिसी बेचकर तोड़ने की कोशिश नहीं करेंगे। हम अपने एजेंट्स को भी इसी हिसाब से प्रशिक्षित करते है। इंटरनेट के जरिए बिक्री होने से भी मदद मिल रही है। उत्पाद को अंतिम तौर पर बेचने से पहले हमारे दूसरे स्टॉफ ग्राहक को फोन करते हैं और उसकी अंतिम सहमति लेते हैं। लेकिन मैं एक और तथ्य बताना चाहूंगी कि सिर्फ गलत सूचना देना ही नहीं बल्कि किसी को जरुरत है और उसे उसकी जानकारी नहीं देना भी मिससेलिंग है।
इस वर्ष पॉलिसी बिक्री कैसी रही है?
अर्थव्यवस्था मंदी का असर है। अभी तक पॉलिसी बिक्री की रफ्तार बहुत अच्छी नहीं रही है। लेकिन इसके लिए एक वजह यह है कि हम इस वर्ष काफी बदलाव देख रहे है। हमने पूरी बिक्री प्रक्रिया को इंटरनेट आधारित कर दिया है। हम आइआरडीए के नियमों को पालन करने में सबसे आगे है। लेकिन मुझे भरोसा है कि सरकार व बीमा नियामक एजेंसी आइआरडीए की तरफ से हाल में उठाये गये कदमों से भारत में बीमा पॉलिसीज की बिक्री बढ़ेगी।
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