मुजफ्फरपुर। दस वर्ष पूर्व उसे क्या-क्या नहीं कहा गया। क्या-क्या नाम नहीं दिए गए। सचिन तेंदुलकर व क्रिकेट के प्रति उसकी दीवानगी को पागलपन तक की संज्ञा दे डाली थी लोगों ने। मारा-पीटा भी गया। अपने लाल के साथ यह सब होता देख-सुनकर मां का कलेजा छलनी हो जाता था। मगर, आज वही मां इस कदर गौरवान्वित है कि उनके मुंह से बरबस निकल जाता है- 'दौलत सब कमाता है, नाम लाखों में एक। मुझे अपने इस बेटे पर गर्व है।'
थोड़ी भावुक होकर सुधीर की मां सीमा देवी कहती हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उनके बेटे को न जाने क्या-क्या झेलना पड़ा। पढ़ाई व नौकरी छोड़ी। लोगों के ताने सुने। रिक्शा चलाया। यहां तक कि एक बार तो उसे चलती ट्रेन से भी फेंक दिया गया। जान जाते-जाते बची। घर से निकलता तो महीनों खबर नहीं मिलती। उसकी सलामती के लिए देवी मां से कई बार मन्नतें की। उसकी धुन देखकर कभी परिवार का बोझ नहीं डाला। उसने जितना भी कमाया, क्रिकेट पर न्योछावर कर दिया। छोटी बहन व छोटे भाई की शादी तक में शरीक नहीं हुआ। उसे यकीन था एक दिन उसका सितारा जरूर चमकेगा।
साइकिल चोरी होने पर बेचैन हो गया था
सीमा देवी आगे कहती हैं कि एक बार पटना में उसकी साइकिल चोरी हो गई थी, जिससे वह बेचैन हो उठा था। उसे साइकिल से ज्यादा चिंता उस बैग की थी, जिसमें सचिन से मिले कुछ गिफ्ट थे। इन सबकी तलाश में वह करीब दो माह घर नहीं आया। फिर आया तो खाना तक छोड़ दिया।
Source- Cricket News in Hindi
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