Monday 30 December 2013

Diesel or cng; which is the better option



नई दिल्ली। देश की राजधानी में सीएनजी की बढ़ती कीमतें एक बार राजनीतिक गलियारों में चर्चा का मुद्दा बन गया। बदलते माहौल में चुनाव से पहले और चुनाव के बाद मुद्दा एक ही। 

सीएनजी की कीमतों में 4.50 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी के बाद अब सीएनजी और डीजल की कीमतों में बेहद कम अंतर रह गया है। सीएनजी कारों के लिए दिल्ली सबसे बड़ा बाजार है और अब यह सवाल और गहरा होगा कि पर्यावरण के अनुकूल सीएनजी कारों को खरीदना कितना फायदेमंद है। एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर में सीएनजी और डीजल कारों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया।

क्या डीजल है सीएनजी से ज्यादा फायदेमंद!
अब तक कई मामलों में डीजल कारों को सीएनजी से मुहं की खानी पड़ती थी। इसमें सीएनजी की कीमत, डीजल के मुकाबले सीएनजी कारों की कम कीमत, ज्यादा माइलेज और साफ ईधन जैसी चीजें अहम थीं। लेकिन अब बात कुछ और हो गई है।

कीमत में अंतर नहीं :
सीएनजी अब दिल्ली में 50.10 रुपये प्रति किलो मिलेगी जबकि डीजल की कीमत 53.78 रुपये प्रति लीटर है। अंतर केवल 3.68 रुपये ही रह गया है जो प्रति किमी वाहन चलाने की लागत पर बहुत कम दिखेगा। देखना यह है कि डीजल और सीएनजी की कारों की रनिंग कॉस्ट लगभग बराबर होने के बाद क्या असर होगा?

डीजल का माइलेज बढ़ा :
नई तकनीक की मदद से अब डीजल कारों का माइलेज पहले से काफी बेहतर हुआ है। उदाहरण के तौर पर होंडा अमेज का माइलेज 25.8 किमी/लीटर, शैवरले बीट का 25.4 किमी/लीटर देने का दावा किया जाता है। सीएनजी की गाड़ियां भी लगभग इतना ही माइलेज देती हैं।

कारों की ज्यादा कीमत :
कीमतों में पहले ज्यादा अंतर आता था लेकिन यूरो-4 की गाड़ियां आने के बाद सीएनजी किट महंगी हुई है। पहले 18-20 हजार रुपये में किट लग जाती थी अब नई तकनीक की किट 45-55 हजार रुपये में लगती है। इससे डीजल और सीएनजी गाड़ियों के बीच कीमतों का अंतर कम हुआ है।

साफ ईधन :
इसमें कोई शक नहीं कि डीजल के मुकाबले सीएनजी एक ज्यादा साफ ईधन है। हालांकि, नई तकनीक की डीजल इंजनों में एमिशन लेवल कम हुआ है, लेकिन फिर भी सीएनजी से जुड़ी दूसरे दिक्कतों के बाद कार खरीदार कितनी ग्रीन रह पाएगा, यह सवाल महत्वपूर्ण है।

ये परेशानियां तो पहले भी थीं
दिल्ली और बड़े शहरों से बाहर सीएनजी लापता :
अगर आप दिल्ली में ही गाड़ी चला रहे हैं तो ठीक लेकिन दिल्ली या बड़े शहरों से बाहर निकलते ही सीएनजी स्टेशनों को ढूंढना आसान नहीं है। जिन छोटे शहरों में सीएनजी मिलती भी है वहां एक या दो ही स्टेशन होते हैं। अगर आप दिल्ली से सीएनजी कार पर लंबी ड्राइव पर निकलते हैं तो आपको रास्ते में पेट्रोल मोड पर आना ही पड़ता है। यानी लॉन्ग ड्राइव के लिए सिर्फ सीएनजी पर आश्रित नहीं रह सकते।

हर बार गैस भराने की दिक्कत :
सीएनजी के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही रहती है कि सीएनजी सिलिंडर में ज्यादा सीएनजी नहीं आ पाती और लोगों को रोज-रोज सीएनजी पंप पर लाइनों में लगना पड़ता है। डीजल के मुकाबले इसे भराने में ज्यादा वक्त लगता है, इसलिए कई बार लंबी लाइनें भी लगती हैं।

ज्यादा मेंटेनेंस :सीएनजी की कारों की मेंटेनेंस डीजल और पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा पड़ती है। तकनीकी जानकारों का मानना है कि सीएनजी कारों के इंजन पेट्रोल और डीजल के मुकाबले ज्यादा मेंटेनेंस मांगते हैं।

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