Wednesday 25 December 2013

Modi Magic in uttar pradesh


लखनऊ, [अवनीश त्यागी]। दिसंबर आते-आते प्रदेश में पस्त पड़ी भाजपा में जान दिखने लगी लेकिन इसका श्रेय नरेंद्र मोदी के खाते में जाता है। अक्टूबर से शुरू मोदी की विजय शंखनाद रैलियों में उमड़ी भारी भीड़ से अचंभित भाजपाई नब्बे के दशक जैसा चुनावी प्रदर्शन दोहराने का दावा कर रहे हैं।

बनारस, कानपुर, झांसी, बहराइच और आगरा की सफल रैलियों से भाजपा को प्रदेश से 40 से अधिक सांसद जीताने का टारगेट पूरा होता दिख रहा है। केंद्र सरकार की विफलता के अलावा सपा शासन में बिगड़े सांप्रदायिक माहौल ने भी भाजपाइयों को सड़कों पर उतरने का मौका दिया। मुजफ्फरनगर व शामली के अलावा सौ से अधिक स्थानों में पनपे साम्प्रदायिक तनाव से ध्रुवीकरण बढ़ा। चार विधायकों हुकुम सिंह, सुरेश राणा, भारतेंद्र सिंह एवं संगीत सोम समेत दर्जनों कार्यकर्ताओं के खिलाफ दंगा भड़काने जैसी संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए। सुरेश राणा व संगीत सोम को रासुका में निरुद्ध करने से जेलयात्रा करनी पड़ी। पश्चिम उत्तर प्रदेश में बने सरकार विरोधी माहौल को भुनाने मे भाजपा काफी हद तक कामयाब रही। पश्चिम उप्र बंद कराकर इसका अहसास भी कराया।

पुराने दिग्गजों की वापसीभाजपा के लिए शगुन साल के शुरुआत में ही बनने लगे। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पार्टी जनक्रांति पार्टी का भाजपा में विलय हुआ। राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व राजनाथ सिंह को दोबारा मिलने से केंद्रीय टीम में यूपी का दखल बढ़ा। इसके अलावा नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद सहयोगी अमित शाह को प्रदेश प्रभारी बनाने से संगठन में दम पड़ने की आस जगी। पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की वापसी का सिलसिला भी शुरू हुआ।

उप चुनाव की परीक्षा में फेलप्रदेश के दो विधानसभा क्षेत्रों भाटपाररानी व हंडिया में हुए उपचुनाव में भाजपा सम्मानजनक उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी। संगठन में पदों के बंटवारे का काम कमोबेश पूरे वर्ष चलता रहा। इसके बावजूद मोर्चा प्रकोष्ठों की क्षेत्रीय इकाइयों का गठन पूरा न हो सका। संगठन में पदों की बंदरबांट में भाईभतीजावाद की बीमारी से पार्टी बाहर नहीं निकल सकी। सदन में भी एकजुटता दिखाने में भाजपा नाकाम रही। ऐसा नहीं कि मुद्दे न मिले हो परन्तु आपसी तालमेल का अभाव विधानसभा के भीतर पूरे साल खटकता रहा। उमा भारती व कलराज मिश्र जैसे अनुभवी नेताओं की मौजूदगी से पार्टी को सदन में असरदार लाभ न मिल सका।

Source  : New in Hindi

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