Thursday 26 December 2013

Will football look down Cricket soon in India

कोलकाता [अभिषेक त्रिपाठी]। क्रिकेट को धर्म मानने वाले देश में दुनिया के सबसे रोमांचक खेल फुटबॉल की फसल काटने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है और इसके लिए अंडर-17 विश्व कप को रास्ता बनाया जा रहा है। देश में अच्छे फुटबॉलरों को तैयार करने के लिए अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (एआइएफएफ) और फीफा के मुख्य प्रायोजक कोका कोला ने हाथ मिला लिए हैं। इसके तहत कोका कोला कप का आयोजन किया जाएगा और इससे निकलने वाले अच्छे फुटबॉलरों को अंडर-17 विश्व कप की भारतीय टीम में भी चुना जाएगा। 

एआइएफएफ के महासचिव कुशाल दास ने सोमवार को कहा कि इस साल कोका कोला के एक अन्य फुटबॉल टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने वाले पांच भारतीय युवाओं अमित टुडु, सुब्रतो दास, प्रसोनजीत चक्रवर्ती, अभिजीत सरकार और जितेंद्र सिंह को ब्राजील में जून से लगने वाले कोचिंग और कंडीशनिंग कैंप में भेजा जा रहा है जहां ये फुटबॉल के गुर सीखेंगे। फीफा विश्व कप ट्रॉफी को लेकर भारत आए 1970 विश्व कप विजेता ब्राजीलियन टीम के कप्तान कार्लोस एलबर्टो टोरेस भी भारत में इस खेल को बढ़ावा देने के पक्ष में हैं। कार्लोस ने कहा कि मैं क्रिकेट के लिए लोकप्रिय देश में फुटबॉल की बात करके काफी खुशी महसूस कर रहा हूं। विश्व कप ट्रॉफी को अपने हाथ में लेने वाले दुनिया के सबसे युवा कप्तान टोरेस ने कहा कि यहां फुटबॉल का विकास होना जरूरी है। हालांकि इसके लिए सोच बदलने की जरूरत होगी। यहां के कुछ खिलाड़ी सोचते हैं कि हम फुटबॉलर हैं लेकिन हमें बड़े देशों के साथ ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिलता। इस सोच का त्याग करना होगा। जब मेसी 12-13 साल का था तो वह स्पेन से अर्जेटीना आया और उसने कमाल कर दिया। ब्राजीलियन स्टार नेमार के पिता मेरे दोस्त हैं। जब नेमार 11 साल का था तो उसे ब्राजील में ही कोई नहीं जानता था। वह फुटबॉल क्लब सांतोस में चुना गया। उसने अभ्यास किया और आज दुनिया उसकी दीवानी है। अगर भारतीय खिलाड़ी फुटबॉल को अपना जीवन मानने लगेंगे तो वह भी वहीं पहुंच सकते हैं जहां पर नेमार और मेसी पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि ब्राजील में नेमार जैसे हजारों खिलाड़ी हैं। वहां सात-आठ साल से ही बच्चे फुटबॉल खेलना शुरू कर देते हैं। भारत को भी इसी तरह की संस्कृति का पालन करना चाहिए। इसके अलावा कुछ भारतीयों को ब्राजील जाना चाहिए और 2-3 ब्राजीलियन कोचों को भारत लाना चाहिए जो यहां के फुटबॉलरों को इस खेल के लायक बना सकें।
कभी दुनिया के सबसे अच्छे डिफेंडर रहे टोरेस ने युवा भारतीय फुटबॉलरों को संदेश दिया कि अगर आप यह चाह लें कि आपको इस खेल में आगे जाना है तो आप चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब मैं 15 साल का था तो मैंने फुटबॉल में करियर बनाने के लिए सोचा। उस समय फुटबॉल में इतने डॉलर नहीं मिलते थे। मेरे पिता ने मना कर दिया लेकिन मैं उनको मनाने में सफल हुआ और मैं दो साल के भीतर ब्राजील की राष्ट्रीय टीम का हिस्सा था। अगर आपमें जुनून हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं। आपको कोई नहीं रोक सकता।

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