Wednesday 30 October 2013

17 Parties Together Against Communalism, Says Nitish at convention on Third Front


Delhi

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आम चुनाव से पहले मोदी बनाम राहुल के सीधे मुकाबले के माहौल के बीच तीसरी ताकत ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवा दी है। वाम दलों के न्योते पर बुधवार को सपा, जदयू, अन्नाद्रमुक, बीजद, जद (एस), झाविमो और अगप सहित 17 छोटी-बड़ी पार्टियां एक मंच पर आ खड़ी हुर्ई। केंद्र के सत्तारूढ़ मोर्चे में शामिल राकांपा ने भी इसमें खुल कर शिरकत की। हालांकि, सम्मेलन में शामिल पार्टियों ने किसी चुनाव पूर्व गठबंधन से इन्कार किया है, लेकिन मोदी की लोकप्रियता को लेकर अब इन पार्टियों में एकजुटता पर नए सिरे से कसमसाहट भी साफ दिखाई दी

सांप्रदायिकता के खिलाफ एकजुटता के नाम पर बुलाए गए इस सम्मेलन के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने इस जुटान को चुनावी एकजुटता में भी बदलने की खुली वकालत की। उन्होंने कहा, 'सवाल पूछा जा रहा है कि क्या यह सम्मलेन एक नए मोर्चे के गठन के लिए है। यह सही है कि अभी ऐसी कोई बात नहीं है। लेकिन फासीवादी और सांप्रदायिक ताकतों के बढ़ते खतरे को देखते हुए जितना अधिक से अधिक हो सके लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट होना होगा।

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने भी कहा कि जितने दलों के नेता यहां मौजूद हैं, अगर सभी इकट्ठा हो जाएं तो सांप्रदायिक ताकतें देश में कहीं सिर नहीं उठा पाएंगी। यह प्रयोग हम यूपी में कर चुके हैं। यूपी में हमने जब-जब सख्ती की, सांप्रदायिक ताकतों को मुंह की खानी पड़ी।' उन्होंने भरोसा भी दिलाया कि ये सभी दल जहां भी एक साथ खड़े होंगे, वे उनका साथ देंगे

हालांकि शुरुआत में इस सम्मेलन को गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा दलों की एकजुटता बढ़ाने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन आखिरकार यह पूरी तरह से भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुटता के रूप में बनकर रह गया। किसी भी दल ने केंद्र की सत्तारुढ़ सरकार के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला। यहां तक कि उत्तर प्रदेश में इतने बड़े दंगों के बावजूद सपा के मुखिया मुलायम ही सम्मेलन के सबसे बड़े चेहरे के रूप में उभरते नजर आए

सम्मेलन की अगुआई कर रही माकपा के महासचिव प्रकाश करात ने भी मौजूदा माहौल में धर्मनिरपेक्ष दलों की एकजुटता को बेहद जरूरी बताया। भाकपा महासचिव एबी बर्धन, पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (एस) के नेता एचडी देवगौड़ा, जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, असम के पूर्व मुख्यमंत्री और अगप के प्रमुख प्रफुल्ल कुमार महंत, बीजू जनता दल के बीजे पांडा, राकांपा के डीपी त्रिपाठी, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो के प्रमुख बाबू लाल मरांडी आदि नेता सम्मेलन में मौजूद थे। इनमें अधिकांश का सीधा और एकमात्र निशाना भाजपा और नरेंद्र मोदी ही बने। कांग्रेस पर चुप्पी बरत कर इन्होंने यह संकेत भी दे दिया कि चुनाव बाद भाजपा या कांग्रेस की इतनी सीटें नहीं आती हैं कि उनके नेतृत्व में सरकार बने तो ऐसी स्थिति में इन पार्टियों को कांग्रेस का सहयोग लेने से भी गुरेज नहीं होगा।

Source- News in Hindi

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