Wednesday 30 October 2013

Politices on Sardar Patel Legacy

Sardar Patel

नई दिल्ली। लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर गुरुवार को नर्मदा नदी के सरदार सरोवर बांध पर उनको समर्पित दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का शिलान्यास नरेंद्र मोदी करेंगे। नरेंद्र मोदी द्वारा इसको जोर-शोर से प्रचारित करने और पटेल के प्रथम प्रधानमंत्री नहीं बन पाने का दुख प्रकट करने पर नाराज कांग्रेस ने भाजपा पर पटेल की विरासत हथियाने की कोशिशों का आरोप लगाया है।
भाजपा की कोशिश : भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शुरू से ही नेहरू परिवार के बगैर देश की कल्पना करता रहा है। उसी कड़ी में नेहरू के समानांतर पटेल को खड़ा करने की कोशिशें होती रही हैं।
गांधी से रिश्ता
महात्मा के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा थी। गांधी जी की हत्या से कुछ क्षण पहले निजी रूप से गांधी जी से बात करने वाले पटेल अंतिम व्यक्ति थे। उन्होंने सुरक्षा में चूक को गृह मंत्री होने के नाते अपनी गलती माना। उनकी हत्या के सदमे से वह उबर नहीं पाए। गांधी जी की मृत्यु के दो महीने के भीतर ही उनको दिल का दौरा पड़ा था।
नेहरू से नजदीकी
- नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण थे। पटेल गुजरात के कृषक समुदाय से ताल्ल़ुक रखते थे। दोनों ही गांधी के निकट थे।
- नेहरू समाजवादी विचारों से प्रेरित थे। पटेल बिजनेस के प्रति नरम रुख रखने वाले खांटी हिंदू थे।
- नेहरू से उनके संबंध मधुर थे। लेकिन कई मसलों पर दोनों के बीच मतभेद भी थे।
मतभेद : कश्मीर के मसले पर दोनों के विचार भिन्न थे। कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र को मध्यस्थ बनाने के सवाल पर पटेल ने नेहरू का कड़ा विरोध किया था। कश्मीर समस्या को सरदर्द मानते हुए वह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय आधार पर मामले को निपटाना चाहते थे। इस मसले पर वह विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ थे।
संघ से नाता
गांधी जी की हत्या में हिंदू चरमपंथियों का नाम आने पर पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित कर दिया और संघ संचालक एमएस गोलवरकर को जेल में डाल दिया गया। रिहा होने के बाद गोलवरकर ने उनको पत्र लिखे। 11 सितंबर, 1948 को पटेल ने जवाब देते हुए संघ के प्रति अपना नजरिया स्पष्ट करते हुए लिखा कि संघ के भाषण में सांप्रदायिकता का जहर होता है.. उसी विष का नतीजा है कि देश को गांधी जी के अमूल्य जीवन का बलिदान सहना पड़ रहा है।

लौह पुरुष
आजादी के तत्काल बाद विभाजन की समस्या के कारण अराजकता का माहौल था। देश के पहले गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री होने के नाते सरदार पटेल ने दिल्ली और पंजाब में शरणार्थियों के लिए उचित प्रबंध किया। उनके प्रयासों से देश भर में शांति स्थापित हुई

- करीब पांच सौ से भी ज्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। कुशल कूटनीति और जरूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप के जरिये उन्होंने उन अधिकांश रियासतों को तिरंगे के तले लाने में सफलता प्राप्त की। इसी उपलब्धि के चलते उनको 'लौह पुरुष' या 'भारत के बिस्मार्क' की उपाधि से नवाजा गया
- भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। डॉ भीमराव अंबेडकर को ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमैन बनाने के पीछे उनकी प्रमुख भूमिका थी। 

- आजादी के बाद गांधी, नेहरू और पटेल की तिकड़ी इस बात पर एकमत थी कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं होगा और सभी के अधिकार समान होंगे। नतीजतन संविधान में पंथनिरपेक्षता और समानता की भावना निहित है
- उनको आधुनिक सिविल सेवाओं का संरक्षक भी माना जाता है।

Source- News in Hindi

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