Thursday 31 October 2013

Positives and Negatives of Indian test team for Windies Series

MS Dhoni

(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। सचिन रमेश तेंदुलकर की 'विदाई सीरीज' यानी 6 नवंबर से शुरू होने वाली वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया। टीम में चुने गए सभी 14 सदस्य इस बात को लेकर खुद को सौभाग्यशाली मान सकते हैं कि वो एक ऐसी सीरीज का हिस्सा होंगे जिसमें क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी ने अपने करियर के आखिरी पल बिताए। इस टीम के ऊपर काफी बड़ा दारोमदार होगा कि वो इस सीरीज को जीत के साथ और खास बना दें, आखिर इस टीम में क्या हैं वो खूबियां जो इस टीम का पलड़ा हर लिहाज से भारी करती हैं, और क्या हैं वो कमजोरियां जिससे टीम को निजात पाना होगा।

इस टेस्ट टीम की ताकत:
1. धवन करेंगे शुरुआत: जाहिर है कि किसी भी टीम के लिए शुरुआत बहुत अहम होती है, फिर चाहे वह कोई भी क्रिकेट का फॉर्मेट क्यों ना हो। लंबे समय तक सहवाग और गंभीर इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते आए लेकिन उन दोनों की गैरमौजूदगी को अब धवन और मुरली विजय को पूरा करना है। अच्छी बात यही है कि विजय ना सही, लेकिन धवन इस समय अपने चरम पर हैं, चाहे वो किसी भी फॉर्मेट में क्यों ना हो। 

2. पुजारा का फॉर्म: अगर पहला विकेट जल्दी गिर जाता है तो द्रविड़ के बाद एक ऐसा खिलाड़ी टीम में आ चुका है जो कि खूंटा गाड़ने का काम कर सकता है। यह बल्लेबाज हैं चेतेश्वर पुजारा जिनका फॉर्म हाल में शायद ही कभी लड़खड़ाता देखा गया हो। पुजारा ने हाल में प्रथम श्रेणी क्रिकेट व लिस्ट-ए क्रिकेट के 8 मैचों में एक तिहरा शतक, दो शतक और दो अर्धशतक जड़े हैं जो उनके फॉर्म को बयां करने के लिए काफी है।

3. सचिन का लय में लौटना: मुंबई की तरफ से हरियाणा के खिलाफ हाल ही में अपने घरेलू क्रिकेट करियर का आखिरी मैच खेलने वाले सचिन लय में लौटते दिख रहे हैं। सचिन आइपीएल में कुछ खास नहीं कर सके थे लेकिन हरियाणा के खिलाफ उनके बल्ले में वही पुरानी धार और पिच पर उनके स्वभाव में वही शानदार संयम दिखाई दिया जिसके दम पर उन्होंने मैच जिताऊ पारी (नाबाद 79) भी खेली। 

4. विराट का जलवा: टॉप ऑर्डर में जो खिलाड़ी सबसे अहम होगा वो हैं विराट कोहली। दिल्ली का ये दिलेर इन दिनों अपने चरम पर है, या ये कहें कि अपने पूरे करियर में अब तक चरम पर रहा है। पिछले साल टेस्ट आगाज के बाद से उन्होंने एक ही साल में तीन शतक जड़े थे, वहीं इस साल वनडे में उनके बल्ले के कहर से सब वाकिफ हो चुके हैं और उनका फॉर्म वेस्टइंडीज के लिए बड़ा खतरा साबित होगा। 

5. दो अजब-गजब धुरंधरों की मौजूदगी: टीम में दो ऐसे धुरंधर होंगे जिनका यह तो निश्चित नहीं है कि वे टॉप 11 खिलाड़ियों में होंगे या नहीं लेकिन पहले टेस्ट में अगर कोई फ्लॉप हुआ तो दूसरे टेस्ट में धौनी के पास बल्लेबाजी में दो विकल्प हमेशा तैयार रहेंगे। यह दो विकल्प हैं रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे। दोनों ही खिलाड़ी फॉर्म में हैं, खासतौर पर रहाणे जो कि घरेलू क्रिकेट में आए दिन खुद को साबित करते आ रहे हैं। वहीं, रोहित का यह डेब्यू होगा, ऐसे में उनके अंदर भी मौके की भूख होगी। 

6. लय में ओझा: भारतीय गेंदबाजी का तो पता नहीं, लेकिन इस टीम में बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा धौनी का ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। जडेजा की गैरमौजूदगी में ओझा को पिच व बल्लेबाज की सोच से खेल करना ही होगा और हाल के प्रथम श्रेणी मैचों को देखें तो ओझा लय में भी नजर आ रहे हैं। पिछले दो प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने 12 विकेट हासिल किए हैं, जिसमें सेंट्रल जोन के खिलाफ साउथ जोन से खेलते हुए चेन्नई में उन्होंने एक पारी में 48 रन देकर 6 विकेट भी हासिल किए।

इस टेस्ट टीम की कमजोरियां:
1. इशांत का ढीला प्रदर्शन: इस टेस्ट टीम में सबसे बड़ी दिक्कत जो दिख सकती है वो है इसकी गेंदबाजी। वेस्टइंडीज की टीम में कई ऐसे हिटर मौजूद हैं जो टेस्ट को भी किसी भी समय वनडे का स्वरूप दे सकते हैं, ऐसे में ढीली गेंदबाजी बहुत भारी पड़ने वाली है। टीम में इशांत शर्मा को बरकरार रखा गया है। इशांत ने 6 नवंबर 2011 से लेकर अब तक ठीक दो सालों में 13 टेस्ट मैच खेले और घिस-घिस के वो किसी तरह 21 विकेट लेने में ही सफल रहे। वहीं, वनडे में तो उनके हाल के खराब प्रदर्शन से सभी वाकिफ हैं, ऐसे में अगर वो फिर क्लिक नहीं किए तो धौनी को भारी पड़ सकता है। 

2. मिश्रा का चयन: इस टेस्ट टीम में मिश्रा का चयन तो कर लिया गया लेकिन यह हकीकत है कि उन्होंने आखिरी टेस्ट मैच 18 अगस्त 2011 को खेला था जिसमें उनका प्रदर्शन खराब था और उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया। वनडे क्रिकेट से भी वो सालों तक दूर रहते रहे हैं और नागपुर वनडे में कंगारुओं के खिलाफ जब उन्हें मौका मिला तो वो 10 ओवर में सबसे ज्यादा 78 रन लुटा बैठे वो भी बिना किसी सफलता के, ऐसे में उनका चयन भारी पड़ सकता है क्योंकि हाल में आइपीएल में भी उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, जिससे यह तो साबित हो ही जाता है कि फिलहाल उनकी गेंदबाजी उस लय में नहीं है जो कि जिंबॉब्वे दौरे के दौरान देखने को मिली थी। 

3. टॉप ऑर्डर में एक खोट या असमंजस: धौनी के फेवरेट मुरली विजय एक बार फिर टीम का हिस्सा बने हैं। मार्च में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के दूसरे और तीसरे टेस्ट मैच में उन्होंने शतक जड़कर फैंस का दिल तो जीता लेकिन उसके बाद वो ज्यादा कुछ खास नहीं कर सके। हाल में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर मेजबान की 'ए' टीम के खिलाफ खेलते हुए इंडिया-ए की तरफ से वो कोई बड़ी पारी खेलने में भी असफल रहे, ऐसे में उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा कि वह ओपनिंग में धवन के साथ लय मिला सकें। 

4. गेंदबाजी में अनुभवी नाम की कमी: गेंदबाजों में सभी खिलाड़ी युवा होंगे, टीम में जहीर और हरभजन दोनों ही मौजूद नहीं हैं, जबकि सबसे अनुभवी गेंदबाज हैं इशांत शर्मा जिनका अपना फॉर्म प्यासा है और पानी तलाश रहा है। ऐसे में कप्तान धौनी के लिए बॉलिंग रोटेशन और मैदान में फील्डरों की सेटिंग एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि उन्हें ना सहयोग देने के लिए अब जहीर होंगे और ना भज्जी। 

5. सचिन पर दबाव: चार नंबर का स्थान सचिन के लिए रिजर्व रहेगा, लेकिन क्या सचिन आखिरी दो टेस्ट में सिर्फ विदाई का पात्र बनकर रह जाएंगे या फिर वो मैच भी जिता सकेंगे यह एक बड़ा सवाल होगा। द्रविड़, लक्ष्मण और गंभीर जैसे दिग्गजों की गैरमौजूदगी में टॉप ऑर्डर के संयम की जिम्मेदारी इसी धुरंधर पर होगी लेकिन जब हर दिन करोड़ों दर्शक एक खिलाड़ी से सिर्फ शतक की आस लगाए बैठे होंगे तो 24 साल से दबाव की आदत हो जाने के बावजूद सचिन के लिए मुश्किल हो सकती है। वेस्टइंडीज के खिलाड़ी सचिन की कमियों को पढ़ चुके हैं और आगे भी पढ़कर आएंगे, ऐसे में मास्टर को किसी भी लिहाज से पहले अपने ऊपर के विदाई वाले दबाव को कुछ दिनों के लिए पिच पर भूलना होगा।

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