Thursday 31 October 2013

Noted Satirist KP Saxena Passes Away

KP Sexena

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। हिंदी के प्रख्यात व्यंग्यकार और लेखक केपी सक्सेना का बृहस्पतिवार को लखनऊ के एक अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय सक्सेना जीभ के कैंसर से पीड़ित थे। उनका हाल ही में ऑपरेशन किया गया था। उन्हें 2000 में पद्मश्री प्रदान किया गया था। उन्होंने कई लोकप्रिय हिंदी फिल्मों के संवाद लिखे। इनमें लगान, स्वदेश, हलचल और जोधा-अकबर शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ जाने-माने साहित्यकारों ने सक्सेना के निधन पर दुख व्यक्त किया है। इसी सप्ताह हिंदी जगत ने मशहूर लेखक राजेंद्र यादव को भी खोया है।

1934 में बरेली में जन्मे कालिका प्रसाद सक्सेना केपी नाम से लोकप्रिय हुए। उन्होंने बॉटनी में एमएससी किया और कुछ समय लखनऊ के एक कॉलेज में पढ़ाया भी। इस दौरान बॉटनी पर तमाम पुस्तकें भी लिखीं। बाद में उन्होंने रेलवे की नौकरी की और फिर लखनऊ में बस गए। उन्होंने अनगिनत व्यंग्य के अलावा आकाशवाणी, दूरदर्शन के लिए कई नाटक और धारावाहिक लिखे। इनमें बीबी नातियों वाला खासा चर्चित रहा। उनकी लोकप्रियता का यह आलम था कि वह कवि सम्मेलनों में भी शिरकत करते थे।
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केपी सक्सेना ने हास्य व्यंग्य के लिए पाठकों का एक वर्ग तैयार किया। मेरा उनसे पहला परिचय उनकी पुस्तक नया गिरगिट से हुआ था, जो चेखव की कहानियों को आधार बनाकर लिखी गई थी। -प्रेम जनमेजय
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केपी सक्सेना का निधन व्यंग्य विधा के एक युग का अंत है। व्यंग्य की वाचिक परंपरा में शरद जोशी और केपी का नाम आता है। -अशोक चक्रधर
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केपी सक्सेना हर हाल में पाठकों से संवाद स्थापित करते थे। उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं से लेकर मंच पर व्यंग्य पाठ को स्थापित किया। -आलोक पुराणिक

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