Wednesday 28 August 2013

Inflation in India


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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली (New Delhi)। भारत को गहरे आर्थिक संकट में फंसते देख दुनियाभर की आर्थिक सलाहकार एजेंसियों (Economic Adviso Agency) के माथे पर भी चिंता की रेखाएं गहरा गई हैं। इन एजेंसियों को इस बात का डर है कि चीन और भारत में विकास दर बहुत कम हुई तो इससे पूरी दुनिया की समग्र विकास दर पर असर पड़ेगा। पिछले कुछ वर्षो में जब अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश भारी मंदी से गुजर रहे थे तब भारत व चीन ने बेहतर प्रदर्शन कर ग्लोबल अर्थव्यवस्था (Global Economic) को मजबूती दी थी।

प्रमुख रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत, इंडोनेशिया जैसे देशों में छाए मौद्रिक संकट से पूरे एशियाई क्षेत्र में नई तरह का संकट पैदा होने का खतरा है। यह पूरी दुनिया के लिए ठीक नहीं है। वैसे, अभी हालात वर्ष 1995 के पूर्वी एशियाई देशों के मौद्रिक संकट जैसे नहीं बिगड़े हैं, लेकिन इसका असर काफी व्यापक हो सकता है। एक अन्य अंतरराष्ट्रीय बैंक बीएनपी परिबास ने तो भारत की चुनौतियों को काफी गंभीर बताया है। बीएनपी ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के 3.7 फीसद पर आ जाने की बात कही है। दो महीने पहले इसने भारत की विकास दर के 5.2 फीसद पर रहने की बात कही थी। बीएनपी का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक बड़े आर्थिक संकट की तरफ बढ़ रही है।

एक अन्य रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारतीय अर्थंव्यवस्था की विकास दर के 5.25 फीसद रहने की उम्मीद लगाई है। लेकिन यह भी कहा है कि इसके और नीचे जाने की आशंका है। मूडीज के मुताबिक भारत सहित तमाम विकासशील देशों की विकास दर में तेज गिरावट पूरी दुनिया के लिए बुरी खबर है। इससे विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार के जो संकेत मिल रहे हैं उन पर भी पानी फिर सकता है। एसएंडपी ने तो भारत में वित्तीय संकट पैदा होने की भी बात कही है। सनद रहे कि वर्ष 2008-09 में अमेरिका और पूरे यूरोप में जब मंदी थी, तब भारत और चीन की तेज विकास दर ने इन देशों को संबल दिया था। मगर अब जबकि इन दोनों देशों के अलावा एशिया व लैटिन अमेरिका के अन्य विकासशील देश गहरे संकट में फंसते दिख रहे हैं, तब पहले से ही मुसीबत में फंसे विकसित देशों की मुश्किलों के और बढ़ने की बात कही जा रही है।

Original Found Here.. http://www.jagran.com/news/business-inflation-in-india-10680824.html

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